Monday, June 15, 2015

A BIT, Masera Girl

यह पता है की जो पढ़ लिख लिए है उन्हें दहेज़ की इच्छा त्यागने में दिकत होगी क्न्यो की वो पहले ही सोच लिए होंगे की मै तो एक अछा खासा पढ़ लिख गया हु तो दहेज़ भी बहुत अछि मिलेगी। ऊपर से उनके पिताश्री भी आशा लगा कर बैठे होगे की बेटे के विवाह में अछि खासी रकम निकलवायुंगा।  ऐसी तो सोच रखने वाले ब्यक्तिओ की कमी नही है हमारे समाज में।  आप अगर इश पोस्ट को पढ़ रहे होंगे सो जाहिर सी बात है मेरे कहने का किया तात्पर्य है।
आज ऐसा समय आ गया है की जानते हुए भी लोग अपनी गलती स्वीकार नही करते परन्तु दूसरे के ऊपर ऊँगली दिखने में आगे रहते है।  इशी बात का अफशोस है की आज पढ़े लिखे लोगो को जन्हा अपनी सोच ऊंंची रखनी चाहिए वंही वो लोग नीच सोच रखते है. आज हमारे प्रधान मंत्रीजी ने कह दिया की गैस की सब्सिडी  छोड़ दीजिये जो लोग सछम है पर सायद हमारे पढ़े लिखे लोग ये नही सोच पाये और समझ पाये की किंयो ना हम दहेज़ की प्रथा भी ऐसे ही समाप्त करदे।  परन्तु ये इतना आसान नही है की अपने को इश बदलाव के लिए तैयार कर पाये।

मेरे मानना तो यही है की दूसरे को कुछ  समझाने के पहले अपने खुद को समझे।  आप कैसी सोच लेकर समाज में घूम रहे है।  तकलीफ होती है जब लड़के के पिता कहते है की आपको अपनी बेटी का सौदा करना है तो इतनी रकल देनी पड़ेगी।  उशके बावजूद मैरिज के पहले कुछ न कुछ डिमांड करते रहेंगे।  शर्म आती है मुझे की किश तरह क समाज में हम लोग जी रहे है .

एक तरफ आप बड़ी बड़ी बाते करते है और दूसरी तरफ आप ये सोचते है की कैसे मै अपनी इच्छा को दबाउ। समाज में कुछ लोग ऐसे है की, वो चाहते है की सब मिलकर सामने आयो , मिलकर एक नया संगठन बनाएंगे और एक दूसरी की मदद करेंगे।  ऐसा कुछ होने वाला  नही है वो वही लोग है जो अपने अंडर ईर्षा भेद भाव क्रोध को रख कर रखे है, बस सही समय में किस तरह से एक दूसरे की टांग खींचे।  ये में कुछ नया नही लिख रहा हु , ये सच है , ये आपको भी पता होगा एंड आपने भी देखा ही होगा।

अपने अगले पोस्ट में कुछ में ऐसा लिखूंगी जो सच है और वो किसी माहुरी घर से ही जुड़े हुए मुद्दे की बात है।  आशा करते है की आप समझ गए होगे में ये सब किस लिए लिख रही हु .