Saturday, June 20, 2015

एक पिता ओर उनकी तीन बेटिया ( A Father's three daughter )

एक पिता ओर उनकी तीन बेटिया
अगर आप सोच रहे कि ये किस तरह कि लिखावट है और मै किस लिए लिख रही हु ये सब , आप पहले इशे पूरा पढ़े फिर आप भी सोचिये,  ये कोई कहानी नही है बल्कि सच है और सबको सच सुनने और सुनाने में दिकत होती ही है। 
एक पिता ओर माँ की सूझ बुझ : यही सच है कि हर माँ यही सोचती है कि पहली बेटी का सादी तो मै अपनी जेवर देकर कर दूंगी कोई चिंता की बिसई नहीं है ये सायद हर घर की कहानी है।  अब समय ऐसा आ गया है कि अपनी पुश्तैनी जेवर भी अपने घर आने वाली नयी बहु / दुल्हन को नहीं दिया जाता और ना ही रखा जाता है। 

उश पिता का एक छोटी सी गला का दुकान था थोड़ी थोड़ी पैसा जमा कर रखते थे कि दूसरी बेटी का भी  सादी करना है पूरा जीवन अब तो ऐसेही ब्यतीत करना पड़ेगा वो इश बात को समझ गए थे वो जानते थे की उनकी आर्थिक ब्यवस्था इतनी अछि नही है ओर योग्य नही है कि किसी अछे पढ़े लिखे घरो में अपनी बेटी की रिश्ते की बात कर सके।  मन में ही यह  सोच आ जाती थी कि कैसे मै उन लोगो का मांग को पूरा कर सकूंगा। 

जब पहली बेटी की सादी हुई तो घर कि परिस्थिति देखने लायक थी सादी भी हुई तो एक मिडिल क्लास फैमिली में जिनके घरो में लड़को की कमी नही थी , सभी भाई अछे खासे कमा रहे थे उश्के बावजूद भी उनलोगो ने मांगने में कोई कसर नही छोड़ी।  उनलोगो ने लड़की के पिता के आर्थिक परिस्थितयो को देखते हुए वो सब कुछ मांग लिया पर एक छन के लिए ये भी नही सोचा की उष पिता के ओर भी बेटिया है वो पिता जीवन ऐसे ही ब्यतीत कर देगा।  जब यह सब देखने ओर सुनने मिलता है तो बहुत दुःख होता है यह सब बिचार किसी के मन मे ही नही आता थोड़ा सा भी, शर्म आती है।

अब उष बड़ी बेटी कि सादी के बाद का समय , जितनी जमा पूंजी थी वो भी खत्म हो गया , जो पैसे दूसरे ब्यपारिओ  को देने के लिए रखा था वो भी सादी में खर्च हो गया, वो पिता सादी के वक़्त ये नही सोचा कि किया होगा बाद में , अपनी इज्जत की बात थी बेटी की सादी की बात थी वो पिता भी किया करता, ओर यह भी सच है कुछ रिश्तेदार लोगो ने भी मदद की थी परन्तु वो कितना कर सकते थे.
वो समय उश पिता के लिए बहुत ही कस्ट पूर्ण थी वो यही सोच रहे थे कि किया करे वो, ना पैसा है ना और कुछ।  तब छोटी बेटी के मन में कुछ ऐसा आया कि सभी ने सोचा कि चलो कुछ न कुछ हो जायेगा।  सादी के वक़्त बहुत मेहमानो ने बंद लिफाफे में पैसे और कुछ गिफ्ट दिए थे जो उनकी बड़ी बेटी नहीं ले गयी।  यह एक मदद हो गयी उष पिता के लिए, बस उष पैसो से उष पिता ने फिर अपना ब्यापार सुरु किया, छोटी बेटिया ट्यूशन देने लग गयी और फिर से उनकी परिस्थितियों ने रफ़्तार पकड़ ली। 

अब वो पिता यह समझ गए थे की मै अभी अपनी दूसरी बेटी का सादी तो नही कर पायूँगा तुरंत ओर अगले वर्ष तक भी नहीं कर पायूँगा , जो घर के जेवर थे वो भी चले गए बड़ी बेटी के सादी में , अब हमारे पास ऐसा कुछ है भी नहीं की मै कुछ नया जेवर बनवा पाँय।


बस जीवन की गाड़ी ऐसेही चलती रही कुछ दिनों के बाद माँ के मन में ये ख्याल आया की बेटी को तो बिदा भी करना पड़ता है ओर उश्के लिए भी पैसो कि जरुरत है, जमाई बाबू के घर वालो के लिए कपड़ो का व्यवस्था करना मिठाई बनवाना , करना तो पड़ेगा ही न ये रश्म है हमारी जाती में वरना लड़के के घर वाले लोंगो को बुरा लग जायेगा।  फिर किया निकालो अपनी जमा हुई पूंजी को फिर से.

तब तक छोटी बेटीओ का उम्र भी सादी करने लायक हो गयी थी, उम्र तो बहुत पहले ही हो गयी थी सादी के लिये। परन्तु परिष्ठ्तिया ऐसी थी कि ठीक समय पर कर पाना मुंकिन नही था।

अब यह जानकर भी हमें ये खुसी हुई :

जब छोटी बेटी का सादी का समय आया तो पता नही कैसे किसी लड़के के पिता ने  खुद सामने से यह कहा कि आप से आपकी बेटी चाहिए बस , हम लोगो कि कोई मांग नही है बस आप अपने तरफ से जो देना चाहे दे दीजियेगा ओर हम बैठा सादी करेंगे मतलब काढ कर बेटी ले जाना , उश लड़के के पिता ने कहा बस  अपने लोगो को लेकर हमारे यंहा पर आईये ओर अपने समाज के लोगो को जितना ला पाये लाये जिश्से कि कुछ दहेज़ दान उठ पाये।
अब यह भी सच है जो थोड़ा अचे बिचार मन में रखता है उनलोगो के साथ अछा ही होता है।  उश पिता ने लड़के को देखा, लड़का का ब्यापार था अछे घर के लोग थे वो लोग भी मिडिल क्लास से थे अछा खासा उन लोगो का ब्यापार चल रहा था।  जिस बेटी की सादी होने वाली थी वो ग्रेजुएट थी परन्तु लड़का पढ़ा लिखा नही था परन्तु बहुत अछा ओर समृद्ध था अपनी अछि सोच से।  मन में किसी भी  तरह का घमंड या फिर लालच नही था।  उष पिता के आँख से आँशु निकल आये।  वो कोई अछा कर्म ही होगा जो इश अछे समय को महसूस करने का मौका मिला।

इश्लीए लोग कहते सब्र रखिये और अछा बिचार मन में लाईये।  बस उश पिता के छोटी लड़की की सादी दूसरे बर्ष हो गयी।  ये एक चमत्कार नही तो किया है।  मै तो आज भी नही सोच पायी की ये अचानक से कैसे हो गया। इश तरह के भी लोग है हमारे जाती में। 

जब तीसरी बेटी का समय आया तो बहुत समय हो चूका था उनकी तीसरी बेटी का उम्र सायद २९ हो गयी थी ओर वो देखने में बहुत सुन्दर भी थी ऐसा नही की बड़ी बेटिया सुन्दर नही थी सभी बेटिया बहुत सुन्दर थी।  अब सबसे छोटी बेटी जिसे करीब तीन से चार परिवार वालो ने रिजेक्ट कर दिया था कारन एक ही था उष पिता के पास देने के लिए कुछ था ही नहीं उतना।  समाज में हमारी जाती में सब यही सोच रहे थे की बड़ी बेटियो को अछे घरो में दे दिया ओर उनलोगो की मांग भी पूरी की गई होगी।  

यही होता है हमारे जाती में अभी भी ऐसे कुछ मानशिक बूढी जीबी जीवन जी रहे है कि उनलोगो का कभी भी सोच बदल पाना नही के बराबर है। 

अब उनकी तीसरी बेटी के लिए बहुत सारे घरो में रिश्ता भेजी गयी परन्तु कंही पर भी ठीक नही हो रहा था ३ साल गुजर गया  दूसरी बेटी का बिवाह किये हुए।  तीसरी बेटी का उम्र भी निकलता जा रहा था।

आप माने या ना माने , एक परिवार उशी सहर में ऐसा भी था जिससे उष पिता के साथ व्यापर चलता था उशने उष पिता को कहा की मेरे बड़े भाई के लड़के के  लिए लड़की धुंध रहे है अगर आपके नजर में कोई हो तो बताइएगा। उष पिता ने जानकारी ली उश्के बड़े भाई के लड़के के बारे में वो किसी ओर सहर में रहता था अछे खासे लोग थे समृद्ध थे।  अब उश पिता ने कहा कि मेरी छोटी बेटी से आपके बड़े भाई के लड़के से बात आगे करने के लिए सोचिये अगर आपको समझ में आये, बस उष लड़के के परिवार वाले देखने आये लड़की पसंद आई ओर बात आगे बढ़ी, अब इनकी छोटी लड़की के बिवाह के समय उन परिवार वालो ने कहा कि हमारी कोई मांग नही है।  दरअसल वो लोग जानते थे उष पिता के आर्थिक ब्य्वश्था के बारे में।  उन लोगो को पता था कि वो कुछ भी देने में समर्थ नही है।

इश्लीए उष लड़के के घर वालो ने कहा की आप से कोई मांग नही है हमें लड़की बहुत ही पसंद आयी है बस आप सादी की तयारी करिये। 

आप सब भी सोच रहे होंगे की ये बस एक कहानी है , आप गलत सोच  रहे है यह सच्ची कहानी है की आज भी मै सोचती हु कि यह कैसे हो गया।  या एक करिश्मा ही है मेरे लिए।  देखते देखते तीनो लड़कियों की सादी हो गयी। 

ओर आज भी वो सभी खुस है अपने जीवन में अपने परोवारो के साथ।  पिताजी की उम्र अब बहुत हो चुकी है पर जीवन अब सांत ओर सुखमय है पर तकलीफ भी है दोनों माता पिता के बृद्धा व्वस्था में हमेशा के लिए कोई है नही सेवा करने के लिए परन्तु कुछ हद तक अपने ही परिवार के लोग सेवा कर रहे है। 

आप अगर पूरा पढ़ चुके है तो कृपया अपनी ओर अपने परिवार के बिचारो को अचे बिचार में बदलने की कोशिस करे।  आप सायद ही उम्र में बहुत छोटे होंगे परन्तु ऐसा नही की आप अपने सोच बदल न पाये। आप अगर अछा सोचेंगे तब ही अछा कर्म कर पाएंगे।

अगर हम सब हिन्दू है ओर भगवन की पूजा करने में बिस्वास रखते है तो ये भी सच है कि कुछ ऐसी शक्ति है ईश बातावरण में जो छुप कर काम करती है ओर हमें आगे बढ़ने के लिए हिम्मत देती है।

आप एक ही सुच ओर अछा बिचार मन में लाकर तो देखिये।


आप अपनी बात निचे कमेंट्स बॉक्स में जरूर रखे।

Monday, June 15, 2015

A BIT, Masera Girl

यह पता है की जो पढ़ लिख लिए है उन्हें दहेज़ की इच्छा त्यागने में दिकत होगी क्न्यो की वो पहले ही सोच लिए होंगे की मै तो एक अछा खासा पढ़ लिख गया हु तो दहेज़ भी बहुत अछि मिलेगी। ऊपर से उनके पिताश्री भी आशा लगा कर बैठे होगे की बेटे के विवाह में अछि खासी रकम निकलवायुंगा।  ऐसी तो सोच रखने वाले ब्यक्तिओ की कमी नही है हमारे समाज में।  आप अगर इश पोस्ट को पढ़ रहे होंगे सो जाहिर सी बात है मेरे कहने का किया तात्पर्य है।
आज ऐसा समय आ गया है की जानते हुए भी लोग अपनी गलती स्वीकार नही करते परन्तु दूसरे के ऊपर ऊँगली दिखने में आगे रहते है।  इशी बात का अफशोस है की आज पढ़े लिखे लोगो को जन्हा अपनी सोच ऊंंची रखनी चाहिए वंही वो लोग नीच सोच रखते है. आज हमारे प्रधान मंत्रीजी ने कह दिया की गैस की सब्सिडी  छोड़ दीजिये जो लोग सछम है पर सायद हमारे पढ़े लिखे लोग ये नही सोच पाये और समझ पाये की किंयो ना हम दहेज़ की प्रथा भी ऐसे ही समाप्त करदे।  परन्तु ये इतना आसान नही है की अपने को इश बदलाव के लिए तैयार कर पाये।

मेरे मानना तो यही है की दूसरे को कुछ  समझाने के पहले अपने खुद को समझे।  आप कैसी सोच लेकर समाज में घूम रहे है।  तकलीफ होती है जब लड़के के पिता कहते है की आपको अपनी बेटी का सौदा करना है तो इतनी रकल देनी पड़ेगी।  उशके बावजूद मैरिज के पहले कुछ न कुछ डिमांड करते रहेंगे।  शर्म आती है मुझे की किश तरह क समाज में हम लोग जी रहे है .

एक तरफ आप बड़ी बड़ी बाते करते है और दूसरी तरफ आप ये सोचते है की कैसे मै अपनी इच्छा को दबाउ। समाज में कुछ लोग ऐसे है की, वो चाहते है की सब मिलकर सामने आयो , मिलकर एक नया संगठन बनाएंगे और एक दूसरी की मदद करेंगे।  ऐसा कुछ होने वाला  नही है वो वही लोग है जो अपने अंडर ईर्षा भेद भाव क्रोध को रख कर रखे है, बस सही समय में किस तरह से एक दूसरे की टांग खींचे।  ये में कुछ नया नही लिख रहा हु , ये सच है , ये आपको भी पता होगा एंड आपने भी देखा ही होगा।

अपने अगले पोस्ट में कुछ में ऐसा लिखूंगी जो सच है और वो किसी माहुरी घर से ही जुड़े हुए मुद्दे की बात है।  आशा करते है की आप समझ गए होगे में ये सब किस लिए लिख रही हु . 

Tuesday, June 9, 2015

India's Greatest Ironies

Perfect Sentence for an highly Educated Person

A Chartered Accountant & his dowry demand

कृपया अंत पैरा पढ़ें !!!!!!!!

"I had a dream to fly, I  had a dream to run, I had a dream to walk, I had a dream to roam, I had a dream to be always happy." But that was only dream. I have realized now, all are not equal to everyone. One of my friends was doing chartered accountancy course. We used to chat with her and used to share our activities, our happy moments. She was hard working, belongs to a middle class family, I think who has borne in middle class, are used to face many problems & they need to act based on the situations.
Well, life is full of uncertainty, when what will happen, no one knows. I realized that being an educated person not enough unless a good human not exist inside. I came to know about so many difficulties now a days a mahuri girls are facing who belongs to middle class or below middle class even she is educated, well settled with a good job. Mostly mahuri groom who are government servant, expect more dowry compare to other working professionals.
A government servant used to write a long essay when this topic used to come in exam, everyone will write against dowry system, but practically they seek, they expect more dowry in their own marriage.
Shame on those guys, who are well settled and having good earning source, but they expect dowry from his own marriage. Just keep remember “one mistake brought shame to all his family".
It was a guilty of everyone who see and support them, also who don’t stop others. Foreigners used to come in India to study about the dowry system, it looks like every problems having in India only. Poor to rich, everyone having their own story to say.
Dowry related violence still not stopped in India, if you are a mahuri, just check a recent case of a family of Jamshedpur, an woman was burned till the death, that criminal family also run away and hided somewhere. Even after such instances also, no one will change their intention until something really happen to their family members.
Yes I am here writing only against or only about Mahuri caste. I don’t care about other caste, I don’t care about others what they will fill but I am here to write everything. Because it’s true in every angle.

One-day I asked one of my male friend, how much dowry have you taken in your marriage, you know that day I felt proud myself, I felt proud myself as a mahuri first time, because I was not expecting that my friends didn’t ask any dowry in his marriage. I was very happy and I told him, really you made me proud and you have given me strength to my feelings. Really I proud him, he told only little much marriage expenses has been taken from their side as that we can’t deny and I also agreed that much is okay for everyone. But now a days if someone is a government servant, he used feel like so many mahuri girls are sitting for him. Now that time really gone for some guys.

Its’ my humble request if you are a mahuri and well settled or even working & earning good salary, don’t seek any money from your future father-in-law, let him give as per his wish.
Isheshe jada ar koi khusi nhi hogi ush father k liye.


 Aaj kal hamare caste se ladkiya dusre caste me sadi kar rahi hai, reason ak hi hai, agar ush ladki k family k pass paisa nhi hai to wo sadi karwa hi nhi sakta apne caste me, ladkiya baithi baithi umar nikal jata hai par sadi nhi hoti. Kuch to sharm karo.
Bat karne k waqt sab badi badi batey karte hai but jab khud k upar aata hai to , log muh chipate hai, kitni sharm ki bat hai.
Abhi hal ki hi bat hai, karib three ladkiyo ka sadi Marwari ghar me ho gaya, dekhne me sab sundar thi, but problem tha paiso ka. Ush ghar ka bap bhi ladke khojne nhi ja sakta or soch sakta jab tak unke pass paisa nhi hai.
Agar kuch acha kam karna hi, apne caste ko sabke najar me upar uthana hi hai to, khul kar samne aayo and kaho.

Ak ar bat mai likhna chahungi, hamare caste k ladko ko jab online hi mahuri ladkiyo ka photo dekhne mil jar aha hai to phir ar kiya sochne, phir to contact karna hi nhi hai, ladki ki photo to dekh li.

Kuch ladkia to padhi likhi hai, but chehra clear nhi hai, wo jitni bhi achi ho, dekhne me sundar honi chahiye, yahi sabki jarurat hai aajkal.
Aaj facebook me mahuri matrimonial ki free seva bahut chal rahi hai, ladkiyo k rishtey  k sath sath ladkiyo ki bhi personal profile ka link share kiya jar aha hai, but ush admin ko pata nhi hai ki, common sense name ki bhi koi cheej hoti hai. Din  rat na jane kitne log ping karte hai koi hisab nhi, jise sadi nhi bhi karni hai wo bhi number laga dete hai ki samne se ladki reply karegi.
Ushe admin ko sharm aana chahiye, khud agar wo soch nhi pa raha hai than konsi punya ka kam kar raha hai. Wo sochta hai ki, ak social media k sahare sabko ak kar lega, ish tarah k logo ko educated fool kaha jata hai, matlab “padha likha bewkoof”.
Jab koi privacy hi nhi hai ush jagah par, phir jitney bhi family apni ladkiyo ka profile share kar rahe hai, wo ak risk utha rahe hai, kinyo ki ladki ka photo to waise hi sab dekh lete hai, ushke bad agar pasand aaya than sabke sab ping karna suru kar dete hai, ar agar pic pasand nhi aaya than phir kuch karna hi nhi hai,  ushke bad ladki k family wale, ladko ko ping pr call kar Kar ke puchenge. Yahi sach hai, aap mano ya na mano.
Aaj ush facebook matrimonial ka admin ho sakta hai koi uche post me ho but, common sense nhi hai ushki, sab log badi badi batey karte hai but dhyan koi nhi deta. Ush matrimonial me kitne hi kam umar k ladke hai jinka bada bhai sadi nhi kiya hai, wo bhi ush matrimonial me publish ho gaya hai.
Reason to bahut hai ush facebook matrimonial wale admin k pass, kuch sach me social work k liye reason hai kuch apne phayde k liye reason hai.
Mujhe janha tak malum pada hai , wo khud apni marriage me achi khasi rakam liya hai, ak to unki umar chali ja rahi thi. Ab jab khud itne bade post me hai to , jahir sa bat hai, dowry demand to karenge hi. Main nhi bolti ki unko nhi karna chahiye, but sab logo ki bas ki bat nhi hai.
Sabki apni apni soch hai,  agar aap kisi k bare me ungli utha rahe hai to, pahle aap khud apne upar utha kar dekhiye and apne ko correct kariye. Yanha log badi badi batey karte hai sirf.
Mere facebook me itne sare friend request aa rahe hai ladko ka ki  kiya bolu main, aajkal ke yuva kanha ja rahe hai , bhagwan hi janta hai. Aajkal koi poltics me apna jeevan dekar , kawani uda deta hai, phir umar bit jane k bad, achi ladki dhundhta hai  sadi karne k liye.
Janha padhe likhe logo ko guide karna chahiye hamare yuvayo ko, wanha log ushe social group me jodne k liye karya kar rahe hai, jamha hausla badhana chahiye mahuri yuvayo ka, wanha unlogo ko mahuri ladki dikhaya ka raha hai.
Sab jante hai, kon kon padhai kar raha hai and kon kon kar sakta tha, but nhi, wo dusre ki kinyo madat karega.

Sahi  hai, mai to yahi sochti hu , kaise kiya hoga mahuri caste k logo ka. Log padh likhne k bad bhi, unpadh se bhi giri hui soch rakhte hai.